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जातिवाद और हिन्दुओ के बिखरने से इस राष्ट्र का क्या नुक्सान होता है, जातिवादी हिन्दुओ को शायद इसका अंदाजा नहीं है, मिलिए मोहम्मद फुरकान से, जिसकी तस्वीर ऊपर लगी हुई है, ये अलीगढ का नया मेयर है, आपको अच्छे से याद होगा यूपी में 16 मेयर के लिए निकाय चुनाव हुए थे
बीजेपी के 14 जगह मेयर बने, और BSP जो की मायावती की पार्टी है उसके 2 जगह मेयर बने, एक मेरठ में और एक अलीगढ में, और मोहम्मद फुरकान अलीगढ का मेयर है, मोहम्मद फुरकान ने मेयर बनने के बाद पहली बार आज प्रेस कांफ्रेंस किया
जब कुछ लोगों ने उसे भारत का राष्ट्रगान गाने के लिए कहा तो उसने राष्ट्रगान नहीं गाया, फिर विवाद होने लगा, तो इसे भी शायद अंदाजा हुआ होगा की इसने वन्दे मातरम का नहीं बल्कि इसने तो जन गण मन का अपमान किया है, तो इसने मीडिया के अधिक पूछने पर कहा की - मुझे तो राष्ट्रगान आता ही नहीं इसलिए नहीं गाया
अब बताइये जिस शख्स को राष्ट्रगान नहीं आता वो मेयर बन गया है एक शहर का, वैसे इसे राष्ट्रगान अच्छे से आता है, मानसिकता जिहादी है बाकि कोई और वजह नहीं है, मायावती की मेयर मेरठ में भी है, जो वहां वन्दे मातरम को बैन करना चाहती है, उसका पति कहता है की जो वन्दे मातरम वाला आये लाठी से उसका सर फोड़ दो
और अलीगढ का मेयर राष्ट्रगान नहीं गाना चाहता, हिन्दुओ को समझना चाहिए की उसके बिखरने पर राष्ट्र का कितना नुक्सान होता है, हिन्दू जाति में बिखरता है तो मोहम्मद फुरकान जैसे लोग जीतते है और जबतक पद पर रहते है जिहादी गतिविधियां इतनी करते है की इलाका कैराना, संभल बन जाता है, जहाँ बीजेपी के मेयर बने वहां शांति से काम हो रहा है, देशद्रोह जैसी कोई हरकतें नहीं की जाती, मेरठ और अलीगढ में हिन्दुओ काफी हद तक जातिवाद में बिखरे और नतीजा आपके सामने है
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