Featured post

loading...
loading...

जज का नाम है - रोहिंग्टन नरीमन, और याचिकाकर्ता है वामपंथी, वकील भी वामपंथी



इस देश के करोडो बच्चे जो आज इस देश को चला रहे है वो केंद्रीय विद्यालय से निकले हुए है,  जी हां केंद्रीय विद्यालय जिसे हम शार्ट में KV भी कहते है, देश के हर शहर में केंद्रीय विद्यालय  है और ये स्कुल केंद्र के फण्ड से चलता है, केंद्र इस स्कुल को नियंत्रित करता है 

केंद्रीय विद्यालय में प्रार्थना होती है, जहाँ बच्चे संस्कृत और हिंदी की प्रार्थना करते है, असतो मा सदगमय ॥ तमसो मा ज्योतिर्गमय ॥ मृत्योर्मामृतम् गमय ॥ जिसका मतलब होता है (हमको) असत्य से सत्य की ओर ले चलो । अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो ।। मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो ॥।

बच्चे ईश्वर से प्रार्थना करते है की उन्हें असत्य से सत्य की ओर ले चलो, अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो, और उसके बाद जो प्रार्थना का अंश है, उसमे भी किसी धर्म का जिक्र नहीं  है, बच्चे ईश्वर से विद्या का दान मांगते है, ये प्रार्थना केवल संस्कृत और हिंदी में है, इसका धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है, पर अब सुप्रीम कोर्ट की नजर केंद्रीय विद्यालय में होने वाली इस प्रार्थना पर पड़ गयी है 

सुप्रीम कोर्ट में एक हिन्दू विरोधी वकील विनायक शाह, जो इस से पहले भी हिन्दू धर्म के खिलाफ गतिविधियां करता रहा है, उसने एक याचिका डाली, ये याचिका सुप्रीम कोर्ट के जज रोहिंग्टन नरीमन की कोर्ट में डाली और मांग करि की केंद्रीय विद्यालय में जो प्रार्थना होती है वो हिन्दू धर्म को बढ़ावा देती है, इसलिए इसे बैन कर दिया जाये 

जज साहब ने भी फटाफट इस याचिका को स्वीकार कर लिया, और हिन्द केंद्रीय विद्यालय में होने वाली प्रार्थना पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर दिया और कहा की क्यों न इस प्रार्थना को बंद कर दिया जाये, क्यूंकि इस से हिन्दू धर्म को बढ़ावा मिल रहा है, अब केंद्र सरकार को इसपर जवाब देना है, जिसके बाद मिलार्ड तय करेंगे की केंद्रीय विद्यालय में असतो माँ सदगमया वाली  प्रार्थना को बैन करें या नहीं 

Comments

loading...