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बंगाल की संस्कृति पर एक और प्रहार, सरस्वती पूजा की छुट्टी को किया ख़त्म





पश्चिम बंगाल की मुख्य संस्कृति है देवी की पूजा, बंगाल इस्लाम से भी पुराना है, संसार में जब इस्लाम नहीं था तब से बंगाल इलाके में देवी की पूजा होती है, इतने सेकुलरिज्म और इतने वामपंथ के बाबजूद आज भी बंगाल में देवी पूजा मुख्य उत्सव है 

और बंगाल में  बंगाली संस्कृति का ही लगातार नाश हो रहा है और बंगाली संस्कृति पर इस्लामी संस्कृति हावी होती जा रही है, और ऐसा ही एक बार फिर देखने को मिला, जहाँ बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर के जिला प्रशासन ने सरस्वती पूजा की छुट्टी को ही कैंसल कर दिया 



सरस्वती पूजा बंगाल का  सबसे प्रमुख त्यौहार है, पर अब दिनाजपुर में सरस्वती पूजा की छुट्टी को ही समाप्त करने का आदेश दे दिया गया, ये आदेश देने वाले लोगों का नाम है - ज़ाहिद आलम जो की जिले के प्राइमरी बोर्ड का चेयरमैन है,  अमीनुल अहसान जो की प्राइमरी बोर्ड का सचिव है 

दिनाजपुर में आज भी हिन्दू ही बहुसंख्यक है, पर प्रशासन इस्लामिक है, सरकार ममाता बनर्जी की है, पिछले दिनों  सरस्वती पूजा, दुर्गा पूजा, राम नवमी, हनुमान जयंती, सभी हिन्दू त्योहारों पर हिन्दुओ के खिलाफ अत्याचार किये गए, और आज भी इस्लामिक शासन बंगाल में बंगाली संस्कृति को ही नष्ट करने पर उतारू है, और इसी कड़ी में दिनाजपुर में सरस्वती पूजा की छुट्टी ख़त्म कर दी गई 

इस बंगाल में मुहर्रम मनाइये उसके लिए दुर्गा पूजा रोकी जाएगी, सरस्वती पूजा की मांग पर पिछले साल हिन्दू बच्चियों का सर फोड़ दिया गया था, बंगाल में इस्लामिक शासन बंगाली संस्कृति को जैसे निगल रहा है, और उदाहरण कई सारे है 

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