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खाड़ी देशों की जमीन से तेल ख़त्म तो इस्लाम का अस्तित्व भी होगा ख़त्म : निर्वासित ईरानी पत्रकार



और नए वर्ष के साथ-साथ सऊदी अरब और दुबई ने अपने नागरिकों पर गृहकर जलकर और वैट सहित तमाम टैक्स लगा दिए ...बहरीन मनामा कुवैत और दूसरे आठ अन्य खाड़ी के देश भी अपने नागरिकों पर तमाम टैक्स लगाने के लिए ड्राफ्ट तैयार कर चुके हैं

सऊदी अरब के नागरिक अभी से इसका काफी विरोध कर रहे हैं क्योंकि सऊदी अरब में अब पेट्रोल की कीमतें 300% बढ़ गई हैं तथा सभी सामान 15% महंगे हो गए हैं ..अभी तक तेल की खूब कमाई थी जिससे सऊदी अरब सहित तमाम खाड़ी के देश खूब मजे किए थे ... धीरे-धीरे क्रूड भी घटने लगा और विश्व में रिन्यूएबल एनर्जी पर बहुत से रिसर्च हुए जिस से तमाम देशों की क्रूड पर निर्भरता काफी कम हो गई ..कई तरह के अच्छे इंजन खोजे गए सोलर एनर्जी विंड एनर्जी टाइडल एनर्जी सहित बहुत से रिसर्च हुए तथा एनर्जी एफिशिएंट उपकरणों पर भी काफी काम हुआ है यानी अब विश्व में क्रूड की डिमांड काफी घट चुकी है ... और इसी के साथ खड़ी के तमाम मुस्लिम देशों में पब्लिक भी सड़कों पर उतर आई है

सभी मुस्लिम देशों में एकमात्र दुबई के क्राउन प्रिंस ने ही इस समस्या पर दो दशक पहले ही विचार किया था और अपने देश को उदारवादी, खुली अर्थव्यवस्था तथा तुरुजम हब और विदेशियों के लिए कोई इस्लामिक नियम नही लागू किया ।

ईरान के एक निर्वासित मुस्लिम पत्रकार जैसन रेज़िन ने कहा था इस धरती पर इस्लाम का अस्तित्व तब तक ही है जब तक जमीन के नीचे क्रूड है जमीन के नीचे क्रूड खत्म इस धरती से इस्लाम खत्म, अब सऊदी अरब आजकल महिलाओं को कुछ हक देने लगा है, जैसे की ड्राइविंग करने का हक, और अन्य तरह की दूसरे हक भी महिलाओं को दिए जाने लगे है, और वो इसलिए क्यूंकि तेल का धंधा चौपट हो रहा है, और कट्टरपंथ ही रहेगा तो दूसरे देश मदद करेंगे नहीं, इसलिए धीरे धीरे कट्टरपंथी को खुद सऊदी अरब छोड़ने लगा है, थोड़ा तेल कम होगा, तो दूसरे धर्मो के धर्मस्थल भी बनाने की मंजूरी मिलने लगेगी, ये अरबी लोग केवल तेल के धंधे पर जीवित है, न ये कोई अविष्कार कर सके है, न खेती आती है, न इनके पास कोई ज्ञान है, जबतक तेल है ये है, तेल ख़त्म तो ये ख़त्म 

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