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कल 26 जनवरी 2018 का दिनांक था, भारत अपना गणतंत्र दिवस मना रहे थे, उत्तर प्रदेश के कासगंज शहर में सुशिल गुप्ता का बेटा चन्दन गुप्ता अपने दोस्तों के साथ तिरंगा लेकर निकला था, वो तिरंगा यात्रा में शामिल था, और सभी में देशभक्ति की भावना थी
चन्दन गुप्ता और उसके मित्र भारत माता की जय के नारे लगा रहे थे, तभी रस्ते में मुस्लिम बस्ती आ गयी और वहां से पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते हुए जिहादी भीड़ ने तिरंगा यात्रा पर हमला कर दिया, हथियारों की कमी जिहादियों के पास नहीं होती, उन्होंने गोलीबारी भी करि और चन्दन गुप्ता को मौत के घाट उतार दिया गया
चन्दन गुप्ता घर से निकला था तो उसके हाथों में तिरंगा था, पर घर वापस आया उसका शव और वो भी तिरंगा में लिपटा हुआ, पाकिस्तान जिंदाबाद बोलने वालो ने उसे गोली मार दी, और बीते ही दिनों जो लोग गुरुग्राम में एक बस पर पत्थरबाजी के बाद "हिन्दू आतंकवाद" पर बहस कर रहे थे, वो लोग पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा चिल्लाने वालो मजहब तक नहीं बता पाए, सारे बुद्धिजीवी चुप हो गए, सारे सेक्युलर नेता, सारे सेक्युलर मीडिया के पत्रकार मुँह में दही जमकर बैठ गए
भारत में रह कर पाकिस्तान का झंडा फहराने वालों को बचाने अनेक ‘बुद्धिजीवी’ मैदान में कूद आते हैं. कासगंज में तिरंगा फहराने पे मार दिए गए आदमी के लिए कोई आवाज़ नहीं?#BharatKeDushman
अपने अक्सर देखा होगा की कश्मीर के पत्थरबाजों, जिहादियों के बचाव में फ़ौरन भारत के बुद्धिजीवी और सेक्युलर नेता कूद जाते है, जो लोग पाकिस्तान का झंडा फहराते है उनको भटका हुआ युवक बताया जाता है, भारत के बुद्धिजीवी उनके बचाव में कूद पड़ते है, पर यहाँ भारत माता की जय बोलने वाले की हत्या कर दी गयी, चन्दन गुप्ता नाम के युवक की हत्या कर दी गयी जो भारत का ही झंडा फहरा रहा था, पर सभी बुद्धिजीवियों के मुँह में दही जम गयी, ये पाकिस्तान जिंदाबाद बोलने वालो की निंदा भी नहीं कर पा रहे है
चन्दन गुप्ता के लिए हमारे सेकुलरों के मुँह से आवाज नहीं निकल रहा है, हमारे देश में सेकुलरों, वामपंथियों बुद्धिजीवियों के मुँह से बुरहान वानी, याकूब मेमन, अफ़ज़ल गुरु जैसे आतंकियों के लिए ही निकलती है आवाज
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