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जान मोहम्मद के बनाये खाने को खाया था शास्त्री जी ने, जिसके बाद फिर कभी उठ नहीं पाए !



देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की आज 51वीं पुण्यतिथि है, लेकिन 10 जनवरी, 1966 को ताश कंद में पाकिस्तान के साथ शांति समझौते पर करार के मात्र 12 घंटे बाद 11 जनवरी की सुबह उनकी अचानक हुई मौत पर प्रश्न आज भी नहीं सुलझे पाये है । आज भी उनकी मौत रहस्य बन के रह गयी है। लेकिन अब एक चौकाने वाली बात सामने आई है कि ताशकंद की रात जान मोह्हमद ने शास्त्री जी के लिए खाना पकाया था जिसे खाकर उनकी मौत हो गयी।

हालांकि आधिकारिक तौर पर कहा जाता है कि उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई। शास्त्री को ह्दय संबंधी बीमारी पहले से थी और 1959 में उन्हें एक हार्ट अटैक आया भी था। भारत-पाकिस्तान के बीच 1965 में अप्रैल से 23 सितंबर के बीच 6 महीने तक युद्ध चला। युद्ध खत्म होने के 4 महीने बाद जनवरी, 1966 में दोनों देशों के शीर्ष नेता तब के रूसी क्षेत्र में आने वाले ताशकंद में शांति समझौते के लिए रवाना हुए।

पाकिस्तान की ओर से राष्ट्रपति अयूब खान वहां गए। 10 जनवरी को दोनों देशों के बीच शांति समझौता भी हो गया। लेकिन समझौते के 12 घंटे उनकी अचानक मौत हो गई। क्या उनकी मौत सामान्य थी या फिर उनकी हत्या की गई थी। कहा जाता है कि समझौते के बाद कई लोगों ने शास्त्री को अपने कमरे में परेशान हालत में टहलते देखा था। कुछ लोग यह भी कहते हैं कि समझौते से वह बेहद खुश नहीं थे।

दूसरी ओर, कुछ लोग दावा हैं कि जिस रात शास्त्री की मौत हुई, उस रात खाना उनके निजी सहायक रामनाथ ने नहीं, बल्कि सोवियत रूस में भारतीय राजदूत टीएन कौल के कुक जान मोहम्मद ने पकाया था। खाना खाकर शास्त्री सोने चले गए थे। उनकी मौत के बाद शरीर के नीला पड़ने पर लोगों ने आशंका जताई थी कि शायद उनके खाने में जहर मिला दिया गया था। उनकी मौत 10-11 जनवरी की आधी रात को हुई थी। शास्त्री के पार्थिव शरीर को भारत भेजा गया। शव देखने के बाद उनकी पत्नी ललिता शास्त्री ने दावा कि उनकी मौत संदिग्ध परिस्थितियों में हुई है।

अगर दिल का दौरा पड़ा तो उनका शरीर नीला क्यों पड़ गया था और सफेद चकत्ते कैसे पड़ गए। शास्त्री का परिवार उनके असायमिक निधन पर लगातार सवाल खड़ा करता रहा। बेहद चौंकाने वाली बात यह रही कि सरकार ने शास्त्री की मौत पर जांच के लिए एक जांच समिति का गठन करने के बाद उनके निजी डॉक्टर आरएन सिंह और निजी सहायक रामनाथ की मौत अलग-अलग हादसों में हो गई।

ये दोनों लोग शास्त्री के साथ ताशकंद के दौरे पर गए थे। उस समय माना गया था कि इन दोनों की हादसों में मौत से केस बेहद कमजोर हो गया। बता दें कि शास्त्री का पोस्टमार्टम भी नहीं कराया गया, अगर उस समय पोस्टमार्टम कराया जाता तो उनके निधन का असली कारण पता चल जाता। एक पीएम के अचानक निधन के बाद भी उनके शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया जाना संदेह की ओर इशारा करता है।

बेहद सामान्य घर से देश के शीर्ष नेता तक का सफर करने वाले स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहुादुर शास्त्री की संदेहास्पद मौत पर से राज जरूर हटना चाहिए। उनकी मौत पर रूसी कनेक्शन, उनके शव का रंग बदलना और शव का पोस्टमार्टम न किया जाना, ऐसे कई सवाल हैं जो उनकी मौत पर प्रश्न खड़े करते हैं।

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