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सरकारी पैसे से चलने वाले मदरसों में इस्लाम की पढाई कैसे करवाई जा रही है ? : प्रशांत पटेल


कल सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस  भेजा है और  पूछा है की केंद्रीय विद्यालयों में प्रार्थना से हिन्दू धर्म को क्यों बढ़ाया जा रहा है, कोर्ट ने ये बात ये कहकर पूछा की भारत तो एक सेक्युलर देश है, ऐसे में सरकार के पैसे से किसी एक धर्म को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता 

केंद्रीय विद्यालय केंद्र सरकार द्वारा संचालित है, और केंद्र इन स्कूलों को चलाने के लिए आर्थिक मदद भी देता है, सुप्रीम कोर्ट और याचिकाकर्ताओं को कहना है की सरकारी पैसे से हिन्दू धर्म को बढ़ावा दिया  जा रहा है इसलिए इसे बंद  कर दिया जाये 

इसी मुद्दे पर वकील प्रशांत पटेल ने एक दूसरी बात कही है, जिसपर जैसे सबने अपनी आँखों को मूंद लिया है, इस देश में 1 लाख से ज्यादा मदरसे भी चलते है, और अधिकतर मदरसे सरकारी पैसे से चलते है, राज्य सरकारें मदरसों को अनुदान देती है, और इन तमाम मदरसों में कुरान की पढाई होती है, इस्लाम पढ़ाया जाता है 

अगर केंद्रीय विद्यालय जो की सरकारी पैसे से चलता है, वहां प्रार्थना नहीं की जा सकती तो फिर सरकारी पैसे से चलने वाले  मदरसों में कुरआन की, इस्लाम की पढाई कैसे चल सकती है, प्रशांत पटेल ने मांग करि की सभी मदरसों को फ़ौरन बंद किया जाये, क्यूंकि सरकारी पैसे से भारत जैसे सेक्युलर देश में इस्लाम की पढाई नहीं करवाई जा सकती

आपकी जानकारी के लिए बता दिए की केंद्रीय विद्यालय में जो प्रार्थना होती है वो किसी भी प्रकार से हिन्दू धर्म की प्रार्थना नहीं है, क्यूंकि उस प्रार्थना में छात्र बोलते है की, हमे असत्य से सत्य की ओर, अन्धकार से प्रकाश की ओर और मृत्यु से जीवन की ओर ले चलो, उस प्रार्थना में किसी भी हिन्दू  देवी देवता या हिन्दू धर्म के किसी भी प्रतिक का नाम नहीं है, परन्तु उसपर हमला किया गया, पर सरकारी पैसे से चलने वाले मदरसों में इस्लाम और कुरआन की पढाई करवाई जाती है, जिस से किसी को समस्या नहीं है 

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