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देश के इतिहास के छेड़छाड़ को लेकर प्रसिद्ध इतिहासकार एम श्रीमाली ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा की और से इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने की कोशिश हिंदू राष्ट्र के गठन को लेकर है.
इंडियन हिस्टरी कांग्रेस के जनरल प्रेसीडेंट श्रीमाली ने कहा कि इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने की कोशिश एक अलग तरीके का आतंक है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा की ये कवायद एक ऐसे हिंदू राष्ट्र का गठन करना है, जहां अल्पसंख्यकों के साथ दोयम दर्जे के नागरिकों की तरह व्यवहार किया जाये.
दिल्ली विश्वविद्यालय में इतिहास के पूर्व प्रोफेसर श्रीमाली ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए कहा कि पौराणिक कथाओं को समझने के तरीके हैं. पौराणिक कथा का हर हिस्सा इतिहास नहीं होता जिसे आप तर्क के साथ पेश नहीं कर सकते. आरएसएस-बीजेपी के पीछे एकमात्र एजेंडा का इतिहास लिखना एक हिंदू राष्ट्र बनाना था. यह इतिहास को लिखने का तरीका नहीं है.
दिल्ली विश्वविद्यालय में इतिहास के पूर्व प्रोफेसर ने कहा, यह चिंता का विषय है कि भारत में तर्क एवं बहस के लिए स्थान सिकुड़ता जा रहा है. हमने परेशान करने वाली इस प्रकार की प्रवृत्ति पहले कभी नहीं देखी. जिन्हें इतिहास की बहुत कम जानकारी है, वे इतिहास को अपने हिसाब से गढ़ने और अपने विचारों को थोपने की कोशिश कर रहे हैं. यह अलग तरीके का आतंक है.
श्रीमाली ने आरोप लगाया कि संघ और भाजपा धार्मिक आधारों पर देश को बांटने के लिए प्रतिबद्ध है. इतिहास तर्क पर आधारित होता है और उसे अपने हिसाब से गढ़े गये सत्यों, कल्पना या मिथकों पर नहीं लिखा जा सकता. श्रीमाली ने कहा कि हिंदुत्व का इस्तेमाल ताकत हासिल करने के लिए किया जा रहा है. अयोध्या मंदिर और पद्मावती फिल्म को लेकर हंगामे का लक्ष्य हिंदू मतों को हासिल करना है.
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