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भारत के अधिकतर लोग आज एक दूसरे को हैप्पी नई ईयर बोल रहे है, पर इन्हे शायद ही ये पता है की, आज भारत या हिन्दुओ का नया साल बिलकुल भी नहीं है, आज ईसाईयों और यूरोप का नया साल है, चूँकि हमे अपनी परंपरा का तो पता नहीं इसलिए दूसरों की परंपरा का ढोल पीटते रहते है
आज केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा की, विदेशी नए वर्ष की लोगों को शुभकामनाएं लेकिन असल ख़ुशी तो तब होगी जब हम भारतीय अपना हिन्दू नववर्ष मनाएंगे, और नववर्ष भगवा झंडे को लहराकर मनाएंगे, गिरिराज सिंह ने कहा की ऐसे दिन की वो कामना करते है की भारत के लोग अपने नववर्ष को मनाएं, देखें गिरिराज सिंह का ट्ववीट
सरकारी नववर्ष की शुभकामनाएं।— Giriraj Singh (@girirajsinghbjp) December 31, 2017
लेकिन मेरे दिल मे है की वो दिन कब आएगा जब हम हिंदू नववर्ष “वर्ष प्रतिपदा” मनाएंगे ।मेरी लालसा है कि वो दिन जल्द आये और हम “वर्ष प्रतिपदा” के हिसाब से नववर्ष मनाये और भगवा ध्वज को स्थापित करे ।
आपकी जानकारी के लिए बता दें की भारत की संस्कृति बहुत ही समृद्ध है, परन्तु हम लोग अपनी संस्कृति से अज्ञान है, भारत का नया साल बसंत के मौसम में आता है, अब 31 दिसंबर को ले लीजिये और 1 जनवरी को, प्रकृति में कोई बदलाव नहीं आया है, कल भी ठण्ड थी आज भी ठण्ड है
परन्तु भारतीय नववर्ष तब होता है जब शरद ऋतू से बसंत आ जाता है, प्रकृति में बदलाव आता है, मौसम बदल जाता है, धरती की भूगोलिक संरचना भी बदल जाती है, और इसी कारण हिन्दुओ का नया वर्ष मनाया जाता है, हिन्दू नववर्ष को आप भारतीय नववर्ष भी कह सकते है, भारतीय नववर्ष बिलकुल वैज्ञानिक है, जबकि यूरोप का नववर्ष के पीछे कोई विज्ञान नहीं है, ये अन्धविश्वास है
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