Featured post

loading...
loading...

सन 1600 तक 25 मार्च को नववर्ष मनाता था स्कॉटलैंड, भारतीय नववर्ष से था प्रभावित




सत्य सनातन के प्रमाण सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के हर हिस्से और हर कोने में आज भी पाए जाते हैं बशर्ते हम उन्हें सहेज कर रख सकें . आज जश्न मना रहे तमाम में से कईयों को ये भी नहीं पता होगा कि इस दिन का इतिहास क्या था . इस दिन का इतिहास वो कुछ तथाकथित आधुनिक लोग भला कहाँ जान पायेंगे जो अपने ही इतिहास से ठीक से परिचित न हों . सुदर्शन कभी भी अंधी दौड़ का पक्षधर नहीं रहा है और इसको बेहिचक कहता है की सत्य सनातन पद्धित से ही संसार संचालित है और वही सबका आधार है ..जानिये भारतीय परम्परा के नव वर्ष का अन्तराष्ट्रीय सम्बन्ध .

बहुत ही कम लोगों को ज्ञात होगा कि सन 1600 तक यूरोप के स्कॉटलैंड में नया साल 25 मार्च को मनाया जाता रहा जो वहां धीरे धीरे इसाईयत के बढ़ते प्रभाव से १ जनवरी को माने जाने लगा और धीरे धीरे पूरा स्काटलैंड ही उसी रंग में रंग गया . 25 मार्च वही समय है जो भारत में अक्सर होली आदि के आस पास आता है जो बदलते मौसम और ऋतू के नवीनीकरण का प्रतीक होता है . इस समय पृथ्वी अपना एक चक्र पूरा करती है जो पूरी तरह से वैज्ञानिक आधार पर है . जानिये भारत में नव वर्ष का क्या रिश्ता है फ़रवरी और मार्च आदि के इस समय से जब ये जुड़ा था स्कॉटलैंड से , तब स्कॉटलैंड की सीमायें और अभी अधिक विस्तारित थीं .

भारत के विभिन्न हिस्सों में नव वर्ष अलग-अलग तिथियों को मनाया जाता है। प्रायः ये तिथि मार्च और अप्रैल के महीने में पड़ती है। पंजाब में नया साल बैशाखी नाम से १३ अप्रैल को मनाई जाती है। सिख नानकशाही कैलंडर के अनुसार 14 मार्च होला मोहल्ला नया साल होता है। इसी तिथि के आसपास बंगाली तथा तमिळ नव वर्ष भी आता है। तेलगु नया साल मार्च-अप्रैल के बीच आता है। आंध्रप्रदेश में इसे उगादी (युगादि=युग+आदि का अपभ्रंश) के रूप में मनाते हैं। यह चैत्र महीने का पहला दिन होता है। तमिल नया साल विशु 13 या 14 अप्रैल को तमिलनाडु और केरल में मनाया जाता है। तमिलनाडु में पोंगल 15 जनवरी को नए साल के रूप में आधिकारिक तौर पर भी मनाया जाता है।

कश्मीरी कैलेंडर नवरेह १९ मार्च को होता है। महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा के रूप में मार्च-अप्रैल के महीने में मनाया जाता है, कन्नड नया वर्ष उगाडी कर्नाटक के लोग चैत्र माह के पहले दिन को मनाते हैं, सिंधी उत्सव चेटी चंड, उगाड़ी और गुड़ी पड़वा एक ही दिन मनाया जाता है। मदुरै में चित्रैय महीने में चित्रैय तिरूविजा नए साल के रूप में मनाया जाता है। मारवाड़ी नया साल दीपावली के दिन होता है। गुजराती नया साल दीपावली के दूसरे दिन होता है ।इस दिन जैन धर्म का नववर्ष भी होता है।लेकिन यह व्यापक नहीं है। अक्टूबर या नवंबर में आती है। बंगाली नया साल पोहेला बैसाखी 14 या 15 अप्रैल को आता है। पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में इसी दिन नया साल होता है..

उपरोक्त लगभग सभी आंकड़ों में मार्च एक कॉमन माह है जिसका 25 वां दिन अक्सर केंद्र में ही आता है . आधुनिकता अपनाना शास्त्र सम्मान है क्योंकि नवीनीकरण का सिद्धांत सृष्टि और शरीर पर भी लागू होता है लेकिन पाश्चात्य संस्कृति की अंधी नकल कर के सन्मार्ग से भटक जाना किसी भी हाल में धर्म मार्ग नहीं हो सकता . उपरोक्त प्रमाण काफी हैं ये समझ लेने के लिए कि सत्य सनातन ही संसार का मूल आधार था जिस में कहीं न कहीं से तमाम प्रकार से घुसपैठ की गयी है .

Comments

loading...