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कालेधन पर मोदी की बड़ी जीत, स्विट्ज़रलैंड ने उठाया बड़ा कदम, गाँधी परिवार में मचा हड़कंप



नई दिल्ली : काफी वक़्त से देश में ये चर्चा रही कि भ्रष्टाचारी अपने कालेधन को गुपचुप तरीके से स्विट्ज़रलैंड के बैंकों में जमा करवाते आये हैं. स्विट्ज़रलैंड भी अपने बैंकों में पैसे जमा करवाने वालों की गोपनीयता का काफी ख्याल रखता आया है, फिर चाहे वो कालाधन ही क्यों ना हो. भारत सरकार को यदि स्विस बैंकों में किसी भारतीय के जमा पैसों के बारे में कोई भी जानकारी चाहिए होती थी, तो स्विस सरकार से मिन्नतें करनी पड़ती थी. मगर अब सब कुछ बदल गया है.
1 जनवरी, 2018 से मिलने लगेंगी जानकारियां
विदेशों में जमा कालेधन को भारत वापस लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, पीएम मोदी ने स्विट्ज़रलैंड के साथ एक करार किया है. जिसके जरिये जैसे ही कोई स्विस बैंक में भारतीय पैसा जमा कराएँगे तभी भारत रियल टाइम में उन सभी खातों की जानकारी देख सकेगा. अब केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने जानकारी दी है कि इस करार से 1 जनवरी से दोनों देशों के बीच कर संबंधी सूचनाओं का आदान प्रदान हो सकेगा.
काले कुबेरों के लिए यह खबर किसी परेशानी से कम नहीं है. CBDT ने जानकारी दी है कि स्विट्जरलैंड में संसदीय प्रक्रिया पूरी होने के साथ और आपसी सहमति के करार पर दस्तखत के बाद भारत और स्विट्जरलैंड 1 जनवरी, 2018 से कर सूचनाओं का स्वत: आदान-प्रदान कर सकेंगे.
भारत ने किया आंकड़ों की गोपनीयता का वादा
आयकर विभाग के नीति बनाने वाले शीर्ष निकाय ने बताया है कि इस करार पर CBDT के चेयरमैन सुशील चंद्रा तथा भारत में स्विट्जरलैंड के राजदूत एंड्रेयास बाउम ने यहां नार्थ ब्लॉक में हस्ताक्षर किए. दोनों पक्षों के बीच सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान के क्रियान्वयन के लिए पिछले महीने संयुक्त घोषणा पर दस्तखत किए गए थे.
इसमें यह व्यवस्था थी कि दोनों देश 2018 से वैश्विक मानदंडों के अनुरूप आंकड़ों का संग्रहण शुरू करेंगे और 2019 से इनका आदान-प्रदाऩ किया जाएगा. मगर अब 1 जनवरी, 2018 से ही दोनों देशों के बीच कर सूचनाओं का स्वत: आदान-प्रदान शुरू हो जाएगा.
घोषणा पर दस्तखत के साथ स्विट्जरलैंड ने सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान के वैश्विक मानदंडों को पूरा कर लिया है. वहीं भारत ने अपनी ओर से आंकड़ों की गोपनीयता का वादा किया है.
कालेधन कुबेरों पर गिरेगी गाज
अब स्विट्जरलैंड कालेधन का सुरक्षित पनाहगाह नहीं रहेगा. करार के तहत जिन सूचनाओं का आदान प्रदान किया जा सकता है, उनमें खाता संख्या, नाम, पता, जन्म की तारीख, कर पहचान संख्या, ब्याज, लाभांश, बीमा पालिसियों से प्राप्ति, खाते में शेष और वित्तीय परिसंपत्तियों की बिक्री से प्राप्ति शामिल है.
बीजेपी नेता सुब्रमणियम स्वामी दावे कर चुके हैं कि स्विस बैंकों में गाँधी परिवार के कई लोगों का कालाधन भी जमा है. यदि ये सच है तो अब कुछ ही वक़्त सारी सच्चाई सामने आ जायेगी.

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