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इस्लामिक आतंकियों के बारे में सबसे बड़ी जानकारी ये है की, ये जितने भी इस्लामिक आतंकी है, ये खुद को अल्लाह का जिहादी मानते है, और ये लोग आतंकवाद, सुसाइड बॉम्बिंग इत्यादि सबकुछ एक ही लक्ष्य की प्राप्ति के लिए करते है, वो है जन्नत
इन आतंकियों की मान्यता है की जिहाद करो, कत्लेआम करो, और हमारा अल्लाह हमे जन्नत में 72 हूरें देगा, साथ गिलमा और शराब की नदियां अल्लाह देगा, और इसी लालच में, मजहबी उन्माद में ही सभी इस्लामिक आतंकी आतंकवाद फैलाते है
ये इस्लामिक आतंकी सुवर से दूर रहते है, इनकी ये भी मान्यता है की अगर सुवर के संपर्क में आये, तो अल्लाह नाराज हो जाता है, और फिर जन्नत कैंसिल हो जाता है, इस्लामिक आतंकियों की मान्यता है की मरने के बाद उसके शरीर को इस्लामिक रीति से पहले दफ़न करना होगा, उसके बाद ही उसे जन्नत मिलेगी
अब हम भारत में इस्लामिक आतंकियों के खात्मे के बाद क्या करते है ?, या तो हम उनके शव को उनके परिजनों को दे देते है, या सरकार खुद ही उनको दफ़न करती है, पर उनको इस्लामिक रीति से ही दफ़न किया जाता है, ऐसे में तमाम जिहादी भी खुश हो जाते है की भैया अब अच्छे से दफ़न हो गया है हमारा साथी, और अब तो वो जन्नत जायेगा जहाँ उसे हूरें मिलेगी, ऐसे में आतंकियों का हौंसला और बुलंद होता है, और वो जिहाद से पीछे नहीं हटते, और इसी कारण आतंकवाद भी समाप्त नहीं हो रहा है
अब इसी पर त्रिपुरा के गवर्नर तथागत रॉय ने एक बयान दिया है, और अपने बयान के साथ उन्होंने एक उत्तम सुझाव भी दिया है, और इस से इस्लामिक आतंकवाद ख़त्म न सही पर उसमे भारी कमी तो जरूर आ सकती है,
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