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भारतीय इतिहास की प्रामाणिकता पर संदेह करने वालों की लंबी तादाद है। यह हमारा दुर्भाग्य है कि बुद्धिजीवी और शिक्षित वर्ग में यह बीमारी ज्यादा पाई जाती है कि वे सदा से ही हमारे इतिहास को किस्सा कहानी गल्प कल्पना बताने का जघन्य पाप करते रहे हैं। आक्रांताओं ने जो लिखा, वही तथ्यात्मक इतिहास माना गया और हमारे राम और कृष्ण, कल्पना के नायक! हमने सब बर्दाश्त किया लेकिन हम भारतीय अपने विश्वास पर अटल रहे। अपने इतिहास पर हो रहे अत्याचार को असहाय देखते रहे लेकिन हमारे इतिहास पर हमारे अधिकार को हमसे कोई न छीन सका।
अमरीकी वैज्ञानिको द्वारा रिलीज़ इस वीडियो को देखिए, रामेश्वरम् से श्री लंका के मन्नार द्वीप तक समुद्र पर सेतु की पूरी रिपोर्ट को अमरीकन वैज्ञानिकों ने अचरज से स्वीकारा है और श्रीराम द्वारा इस सेतु निर्माण को स्वीकारा है
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