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5 दिसंबर 2017 को भारतीय सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मसले को लेकर सुनवाई हुई थी, जहाँ 2 ही पक्ष थे, एक ऐसा पक्ष जो अयोध्या में श्री राम मंदिर चाहता है, वहीँ दूसरा पक्ष ऐसा जो बाबरी मस्जिद चाहता है, और कोर्ट के दस्तावेजों से साफ़ है की सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से कपिल सिब्बल ने पैरवी करी
पर जब इस मामले ने तूल पकड़ा, और कांग्रेस नेता कोर्ट में राम मंदिर का विरोध कर रहा है, ऐसी खबर देश में चलने लगी तो सिब्बल बड़ी बेशर्मी से सामने आये और बोलने लगे की मैं तो कोर्ट में सुन्नी वक्फ बोर्ड का वकील था ही नहीं, हालाँकि सिब्बल का ये झूठ ज्यादा देर तक नहीं चला और सुप्रीम कोर्ट के दस्तावेजों से सब साफ़ हो गया
ये आप लिस्ट देख सकते है, ये तमाम लोग सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से कोर्ट में पेश हुए थे, और पैरवी की थी, और अब इसी पर पत्रकार रोहित सरदाना ने एक अहम् बयान दिया है, और उनके बयान में काफी अधिक तर्क है, इसी कारण हम दैनिक भारत के पाठकों के सामने उनके बयान को रख रहे है
कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में किसकी तरफ से पेश हुए थे, इस से ज्यादा बड़ी चीज ये है की वो किसके खिलाफ पेश हुए थे, और सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में किसके खिलाफ पेश हुए थे ये चीज तो एकदम साफ़ है, सिब्बल कोर्ट में हिन्दू समाज और राम मंदिर का विरोध करने के लिए पेश हुए थे, और राम मंदिर का विरोध करते हुए उन्होंने राम मंदिर को और 2 सालों के लिए टाल देने की मांग करी, इसमें कांग्रेस की भी सोच थीकपिल सिब्बल किसके ‘लिए’ पैरवी कर रहे थे, ये भले ना पता चल पा रहा हो; किसके ‘ख़िलाफ़’ कर रहे थे ये तो सबको समझ आ गया ना जी? इतना काफ़ी नहीं है क्या?— Rohit Sardana (@sardanarohit) December 7, 2017
असल में कांग्रेस की ये सोच रही की अगर 2019 में हम सत्ता में किसी प्रकार आ गए तो अयोध्या में फिर हर हालत में मस्जिद ही बनाई जाएगी, और इसी कारण कांग्रेस के वकील ने अयोध्या मामले को जुलाई 2019 तक टालने को कहा यानि 2019 के चुनावों के बाद
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