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भारत हज़ारों साल पुराना नेहरू और सेकुलरों ने महानता को बर्बाद किया : डॉ डेविड फ्रॉली





अमरीकी मूल के लेखक डॉ डेविड फ्रॉली किसी आम भारतीय से ज्यादा भारतीय है, और भारत के  इतिहास,भूगोल और वर्तमान को अच्छे से जानते है, कई सारे तो भारतीय ऐसे है जो ये भी नहीं बता पाते की राष्ट्रगीत कौन सा है और राष्ट्रगान कौन सा, भारतीयों में जागरूकता की भारी कमी है 

और इसी कारण भारतीयों को मुर्ख बनाना, गलत इतिहास पढ़ाकर दरिंदो का महिमामंडन करना आसान है, जो की सेक्युलर और वामपंथी इतिहासकारों, नेताओं, बुद्धिजीवियों ने खूब किया है, जमकर किया है, बलात्कारियों तक को ये लोग स्वतंत्रता सेनानी बनाते हुए आये है

भारत कोई नया देश नहीं है, पाकिस्तान की तरह, अमरीका की तरह जो की कल वजूद में आया है, भारत हज़ारों साल पुराना देश है, भारत का जितना पुराना इतिहास है उतना पुरे संसार में कुछ नहीं है, दुनिया में सबसे पहले सभ्यता भारत में ही आयी, जब दुनिया के अन्य इलाकों में लोगों को ये भी नहीं पता होता था की समाज क्या होता है, परिवार क्या होता है, तब भारत में भारतीयों ने राज्य स्थापित करना शुरू कर दिया था यहाँ शादियां, गुरुकुल, राज्य  स्थापित हो चुके थे 

भारत से ही सभ्यता दूसरे इलाकों में गयी, और आज हम 21वी सदी में है, पर आज भारत को एक पिछड़ा हुए देश माना जाता है, स्वयं भारतीय हीन भावना का शिकार है  उन्हें अपने असल इतिहास अपने सभ्यता के बारे में पता ही नहीं और नेहरू तथा भारत के सेकुलरों ने भारत की ये गति की है 

नेहरू ने भारत पर डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया नामक किताब लिखी, और नेहरू ने उसमे भारत को अपने दृष्टि से पेश किया, और भारत के तमाम सेकलरों ने भारत को वही मान लिया, और वो अपनी किताबों में भारत को पेश करने लगे, मुगलों को महान बनाने का खेल यही से शुरू हुआ, भारत का सबसे पहला शिक्षामंत्री एक मुस्लिम धर्मगुरु एक मौलाना था नाम था अबुल कलाम आज़ाद 

नेहरू और अन्य सेकुलरों ने भारत की असली सभ्यता, असली इतिहास को भारतीय समाज से दूर कर दिया, और भारतीयों में इस से हीन भावना भरी गयी, मुग़ल ही महान थे, अरबी संस्कृति, यूरोप की संस्कृति महान थी, हमारे यहाँ तो स्कुल भी नहीं थे, अंग्रेज आये तो स्कुल खुले, ये सब नेहरू और सेकुलरों ने हम भारतीयों को पढ़ाया, और हमारे समाज में हीन भावना डालने का काम किया, नेहरू और अन्य सेकुलरों ने भारत को बर्बाद करके रख दिया 

source - http://www.dainik-bharat.org

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