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पार्टी कोई भी हो, जबतक हिन्दू जागरूक और संगठित नहीं होता, अपमानित किया जाता रहेगा




परेश रावल जो की एक फिल्मबाज़ है, पर  क्या है की बीजेपी में आ गया तो हिन्दुओ ने इसके सारे खून माफ़ कर दिए, आमिर खान की आलोचना तो पीके के लिए हो सकती है, पर फिल्मबाज़ परेश रावल की आलोचना हम "ओह माय गॉड" के लिए नहीं कर सकते क्यूंकि ये तो बीजेपी का नेता है न, असल में दोगले हम हिन्दू ही है, आगे बढ़ते है 

स्मृति ईरानी जो की एक और फिल्मबाज़ रही है, ये वही महिला है जो मोदी के खिलाफ 2002 में अनशन पर बैठी थी और कहती थी की जबतक मोदी इस्तीफा नहीं देता गुजरात के मुख्यमंत्री के पद से तब तक न अन्न ग्रहण करेगी न ही जल, कुछ दिनों बाद अनशन मैडम ने ख़त्म कर दिया, फायदा दिखा बीजेपी में तो बीजेपी में आ गयी 

12 नवंबर 2017 को परेश रावल अहमदाबाद में था, वो वहां से सांसद है, उसने अहमदाबाद में पद्मावती फिल्म का समर्थन किया और कहा की फिल्म पर बैन नहीं लगाया जा सकता, वहीँ केंद्र में मंत्री स्मृति ईरानी का कहना है की पद्मावती फिल्म रिलीज होकर रहेगी, किसी प्रकार की कोई रुकावट नहीं आने दी जाएगी 

और चूँकि ये दोनों ही फ़िल्मी भांड बीजेपी में है, इसलिए बेशर्मो की तरह हिन्दू इनको बर्दास्त करेगा, हिन्दुओ की यही तो गलती है, असल में ये फिल्मबाज़ किसी के सगे नहीं होते, राजनीती में सिर्फ फायदे के लिए आते है, पर फिल्मबाजी इनका मुख्य धंधा रहता है, कल सरकार रहे न रहे, पर फिल्मबाजी के प्रति वफादार रहेंगे, तो सत्ता नहीं भी रहेगी तो मालामाल तो रहेंगे 

गलती तो उन  हिन्दुओ से हो जाती है जो इन फिल्मबाजो को अपना नेता  मानते है, और चूँकि हिन्दुओ की वफादारी हिन्दू धर्म के प्रति नहीं बल्कि एक पार्टी के प्रति है, इसलिए इन फिल्मबाजो का जो सत्ता में हमारे ही वोट से बैठे हुए है, उनके खिलाफ हम कुछ बोल भी नहीं सकते, हमारे दोगलेपन को हमे भी एक  बार देख लेना चाहिए 
source - http://www.dainik-bharat.org

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