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तल्हा ने जन्नत से भेजा पत्र, अब्बू छोटे भाई को यहाँ मत भेजना, सुबह होता है बहुत दर्द



*मसूद अज़हर के भतीजे तल्हा की एक चिट्ठी सीधी जन्नत से आयी है 😉* अब्बू और अम्मी को तल्हा का आदाब....

अब्बू....मैं जिस 72 हूरों की ख्वाहिश में कत्लेआम मचा कर ऊपर पहुँच गया वो 72 हूरें नहीं है वो हमारी चाचियाँ....आपी और फूफियाँ हैं ...* यहाँ उन पर असली वाले (अरबी) मुसलमानों का हक है....हम यहाँ भी मोहाजिर ही हैं...हमें सिर्फ़ शौचालय और कपड़े साफ करने का काम दिया गया है....

वो तो भला हो भारतीय सैनिकों का जिसने मुझे *अंग विशेष* में गोली मारी वर्ना मैं भी असली वालों के नीचे रौंदा जाता....भाई जान की तरह 😉 अब्बू.....आप जो चुतियापा काट रहे हैं ये कहकर की "मेरा बेटा इस्लाम के रास्ते पर शहीद हुआ है" ....ये अब बंद कीजिए....मेरे जैसा सूअर जब भारतीय सैनिकों के बीच घिर जाता है तो सलवार में पेशाब निकल आता है.....

अब्बू.......यहाँ आकर यह अहसास हो रहा है... कि भारत ही एकलौता देश है जहाँ हमें इज्जत मिलती है वरना बाकी देशों में जाकर देख लीजिए...* चीन रमजान में रोजा नहीं रखने देता... अमेरिका घुसते ही सबसे पहले नंगा करता है.... मियाँ-मार ने तो मियों की कई नस्ल ही खत्म कर दी, रोहंगिया मारे मारे फिर रहे हैं...जन्नत ऊपर नही नीचे है अब्बू...भारत में ...जहाँ एक मुसलमान (कलाम) को राष्ट्रपति बनाने के लिए एक सांप्रदायिक पार्टी (बीजेपी) जी जान लगा देती है....कलाम के मरने पर सौ करोड़ हिन्दु रोता है....

...और हाँ अब्बू....ये वामपंथी जो मेरे जैसों के मरने पर विधवा विलाप करते हैं ये सबसे बड़े चूतिये हैं...यही वामपंथी साले यहाँ पर हमारे जैसों को लपेट 😉 कर आजादी का स्वाद चखाते हैं...सुबह बहुत दर्द होता है अब्बू....... *छोटे भाई को मजहब के नाम पर ऊपर मत भेजिएगा...**वो अभी बहुत कमसिन है.....यहां अरबी मुसलमान उसके स्थान विशेष का शिलान्यास कर देंगे अब्बू....*आपका नामुराद तल्हा  😉😆
source - http://www.dainik-bharat.org

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