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नेहरू तुम्हे देशभक्त भारतीय याद तो हमेशा ही रखेंगे, पर घृणा के साथ



22 अक्टूबर 1947 की रात पाकिस्तानी सेना /कबाइलियों ने मुज़फ़्फ़राबाद के झेलम नदीं के पुल को पार किया और मुज़फ़्फ़राबाद पर आक्रमण कर शहर को छिन्नभिन्न कर दिया,हिन्दू कम थे ,मारे गए, महिलाओं को बलात्कार के बाद मार दिया गया ,महाराजा हरिसिंह की मुस्लिम सेना पाकिस्तानियों के साथ मिल कर कत्लेआम और लूटपाट में लिप्त हो गई ! 22 अक्टूबर की शाम ही पूरी घाटी को सप्लाई करने वाला महूरा बिजली संयंत्र उड़ा दिया गया था ! पूरा कश्मीर अंधेरा था ! बाद की कहानीं दर्दनाक है !अंग्रेज़ फौज ने, जो श्रीनगर से सिर्फ 30 किमी की दूरी पर थी ,पाकिस्तानियों पर आक्रमण कर श्रीनगर को बचाने से इनकार कर दिया !

शेष बताने को गौरवपूर्ण, कुछ भी नहीं है ! राजा ने भारत के साथ संधिपत्र पर हस्ताक्षर किए , श्रीनगर तक जा पहुचे पाकिस्तानियों को भारतीय सेना ने खदेड़ना शुरू कर दिया ,मेजर सोमनाथ शर्मा, ब्रि उस्मान जैसी सैकड़ों शहादतें हुईं !उड़ी, बारामुला, कारगिल और पुंछ को वापस जीत लिया गया, मुज़फ़्फ़राबाद वापस लेने की तैयारी थी ! भारतीय सेना ने बहादुरी के नए आयाम स्थापित किये ! हवाई जहाजों से टैंक लाकर 24000 फिट की ऊँचाई तक ले जाया गया ! जनरल थिमैया ने अनोखा कारनामा कर दिखाया ! पूरा कश्मीर वापस मिलने की पूरी संभावना थी !

यहां पर जिन्ना,शेख,नेहरू और माउंटवेटन जनित षड्यंत्र की शुरुआत हुई ! जिन्ना ने नेहरू और माउंटवेटन को पाकिस्तान #शांतिवार्ता' वार्ता के लिए बुलाया ! नेहरू तैयार हो गए मगर पटेल के नेतृत्व में पूरी कैबिनेट ने नेहरू और माउंटवेटन के पाकिस्तान जाने का विरोध किया क्योकि लड़ाई जोरों पर थी और अब भारत हारी हुई टेरेटरी वापस जीत रहा था ! ऐसे में नेहरू खुद तो पाकिस्तान नहीं गया,मगर कश्मीर को पाकिस्तान विलय के घोर समर्थक माउंटवेटन को भारत के गवर्नर-जनरल के रूप में पाकिस्तान भेज दिया ! पाकिस्तान में जिन्ना-माउंटवेटन की घंटो अकेले कमरे में बातचीत होती रही !! 1 नवंबर 1947 को दिन में 2 बजे, माउंटवेटन ने पाकिस्तान से एक रहस्मयी फोन काल नेहरू को की !

शाम चार बजे नेहरू आल इंडिया रेडियो पहुंचे, बगैर मंत्रिमंडल से परामर्श लिए, भारत और पाकिस्तान की जनता के नाम संदेश प्रसारित करना शुरू कर दिया ! एकतरफा युद्धविराम की घोषणा कर दी और पाकिस्तान को आक्रांता बताते हुए ,कश्मीर मामले को संयुक्त राष्ट्र संघ ले जाने की एकतरफा घोषणा कर दी ! विश्व मे ऐसा पहली बार हुआ कि जीतती हुई,अपना क्षेत्र वापस प्राप्त करती हुई सेना को युद्ध विराम के लिए उसी देश के प्रधानमंत्री ने एक षड्यंत्र के तहत रोक दिया हो ! नेहरू ने उस दिन ऑल इंडिया रेडियो पर इससे भी बड़ा अपराध यह किया कि कश्मीरी जनता द्वारा जनमत संग्रह के द्वारा कश्मीर मामले को सुलझाने का खुद ही प्रस्ताव दे डाला !! तारीख थी एक नवंबर 1947 !!! 2 नवंबर 1947 को माउंटवेटन खुशी-खुशी वापस दिल्ली लौट आया !

नेहरू के उस आल इंडिया रेडियो के भाषण के बाद , मुज़फ़्फ़राबाद,स्वात, गिलगित,बाल्टिस्तान और जोजिला-पास सहित 45 % कश्मीर पाकिस्तान के पास स्थायी रूप से चला गया ! कश्मीर में आजतक भारत 50000 से ज़्यादा सुरक्षा बल के जवान खो चुका है और अज्ञात संख्या में नागरिक !! देश का दुर्भाग्य देखिए, जानबूझकर कश्मीर पाकिस्तान के हाथ लुटवाने वाले नेहरू ने भारत पर 18 वर्ष लगातार राज किया और सिफलिस से मरने से पूर्व 1962 में 80000 वर्ग किलोमीटर ज़मीन चीन के हाथों और गवां दी ! नेहरू तुम्हे देशभक्त भारतीय याद रखेंगे,मगर घ्रणा के साथ !!

source - http://www.dainik-bharat.org

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