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गांधी ने भारत को आज़ादी दिलाई, ऐसा कहना और बताना, शहीदों का अपमान है



भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल कोई भाजपा के नेता नहीं है, ये तो अपनी पूरी जिंदगी कांग्रेसी सरकारों के अन्तर्गत ही ख़ुफ़िया विभाग के अफसर रहे है, अजित डोवाल ने बताया की  भारत को आखिर आज़ादी कैसे मिली, क्या अंग्रेजो को गाँधी-नेहरू ने भगा दिया, क्या अंग्रेज गाँधी-नेहरू के डर से भारत को छोड़कर भाग गए, गाँधी-नेहरू ने अंग्रेजो को भगा  कर भारत को आज़ादी दिला दी 

ऐसा भारत के बहुत लोग समझते है,  क्योंकि उनको यही पाठ पढ़ाया जाता है, वैसे एक तस्वीर देखें, आपको अंदाजा  लग जायेगा की अंग्रेजो और गाँधी-नेहरू के बीच कितना युद्ध था, संघर्ष था 

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अरे ये क्या,  भारतीयों को "ब्लडी इंडियंस" कहने वाला माउंट बैटन और भारतीयों का तथाकथित मसीहा एक साथ बैठकर चाय पी रहे है, बेशक दोनों के बीच काफी संघर्ष रहा होगा 

वैसे क्रांतिकारियों को जेल में बंद कर अंग्रेज यातना देते थे, परंतु गाँधी-नेहरू जो अंग्रेजो को भारत से भगा देने वालो के नेता थे,  उनको अंग्रेज जेलों में बस कुछ दिन रखते थे, और यातना छोड़िये, कलम और पेपर दिया करते थे, की लिखो अपनी किताबें और आर्टिकल 

* सावरकर को अंग्रेजो ने  जेल में कोई कलम या किताब नहीं दी, वो अंडमान की जेल में अपने नाख़ून से जेल की दीवार पर "भारत माता की जय" लिखा करते थे, खैर, अजित डोवाल ने बताया की गाँधी ने 1942 में एक आंदोलन किया था, "भारत छोड़ो आंदोलन" जिसे "क्विट इंडिया" आंदोलन भी कहा जाता है, वो आंदोलन बिलकुल फ्लॉप हो गया और उस समय दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था 

जितने  भारतीय गाँधी के साथ नहीं थे उस से अधिक भारतीय अंग्रेजो की तरफ से लड़ने के लिए अंग्रेजी सेना में भर्ती होकर यूरोप गए थे, लगभग 25 लाख भारतीय अंग्रेजो की सेना में शामिल हुए थे, 1945 तक अंग्रेज, अमरीका इत्यादि के सहयोग से दूसरा विश्व युद्ध जीत चुके थे, अंग्रेजो के पास अब अमरीका जैसा शक्तिशाली साथी भी था 

और यहाँ 60 हज़ार भारतियों की सेना लेकर बोस अंग्रेजो से लड़ रहे थे, 60 हज़ार में से 40 हज़ार भारतीय सैनिक शहीद हो चुके थे, और 1945 आ चूका था, परंतु भारतीयों में ऐसा जोश था की वो आज़ादी प्राप्त करने के लिए शहीद पर शहीद हो रहे थे, 1 अंग्रेज मरता था तो 15 आज़ाद हिन्द फ़ौज के सैनिक मरते थे, पर फिर भी भारतीय लड़े जा रहे थे 

और वहां यूरोप से दूसरा विश्व युद्ध जीतकर लगभग 25 लाख भारतीय सैनिक वापस भारत में पहुच चुके थे, 1945 के बाद अंग्रेजी हुकूमत को रिपोर्ट मिली की यूरोप से वापस लौटे भारतीय सैनिक,  धीरे धीरे आज़ाद हिन्द फ़ौज में शामिल होते जा रहे है, अजित डोवाल ने बताया की - इसी रिपोर्ट ने अंग्रेजो की नींद उड़ा दी, क्योंकि आज़ाद हिन्द के सैनिक पूर्वोत्तर की तरफ ही थे, परंतु यूरोप से लौटे  भारतीय सैनिक, कराची, जबलपुर, बरेली, अम्बाला, पुणे, आसनसोल सभी जगह लाखो की संख्या में थे, कुल मिलाकर 25 लाख भारतीय सैनिक थे 

और आज़ाद हिन्द के फ़ौज के लगातार शहीद होते सैनिको से ये 25 लाख सैनिक लगातार प्रभावित हो रहे थे, और वहां बोस "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा" का नारा लगा  रहे थे, अंग्रेजो को इस रिपोर्ट ने अंदर तक हिला दिया और उनको पुणे, अम्बाला, आसनसोल, लाहौर, कराची, जबलपुर, बरेली में अंग्रेजी सैनिको के शव दिखाई देने लग पड़े 

और इसी डर से अंग्रेज रातों रात, हड़बड़ी में ही गाँधी-नेहरू-जिन्ना को भारत सौंपकर, सबकुछ छोड़कर चले गए, अजित डोवाल ने बताया की बोस और आज़ाद हिन्द फ़ौज के सैनिको तथा यूरोप से लौटे भारतीय सैनिको के दबाव के कारण अंग्रेज भारत से भागे, न की नेहरू-गाँधी ने अंग्रेजो को मार भगाया, गाँधी-नेहरू ने भारत को आज़ादी दिलाई, ऐसा कहना,  बताना या सोचना भी उन हज़ारों सैनिको का अपमान है जिन्होंने असल में भारत को आज़ादी दिलाई 

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