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रोहिंग्या मुस्लिमों के लिए बुरी ख़बर – बढ़ते रोहिंग्याओं पर ऐसे कण्ट्रोल करेगा बांग्लादेश – दुनिया भर के कट्टरपंथी दंग


भारत के बाद अब बांग्लादेश से रोहिंग्या मुस्लिमों के लिए एक ऐसी ख़बर आई है, जो बेहद चौंकाने वाली है l इस ख़बर के बाद अब इस ये सवाल उठने लगे हैं कि क्या वाकई भारत की मोदी सरकार ने रोहिंग्या मुस्लिमों को भारत में न शरण देने का फ़ैसला सही लिया है ? ये सवाल इसलिए क्योंकि इस वक़्त बांग्लादेश ने रोहिंग्या मुस्लिमों को लेकर जो फ़ैसला लिया है, वो ये बताता है कि बांग्लादेश ने भले ही शरण दे दी हो, लेकिन बांग्लादेश में रोहिंग्या मुस्लिमों से निपट नहीं पा रहा l
बांग्लादेश ने वहां रह रहे शरणार्थी रोहिंग्याओं के लिए नसबंदी कराने की योजना बनाई है। बताया जा रहा है कि रोहिंग्याओं की बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के सभी तरीकों में विफल होने के बाद यह योजना बनाई है।
ख़बर है कि बीते महीने बांग्लादेश ने रोहिंग्याओं के कैंप में कॉन्डम भी बांटे थे, लेकिन उसका कोई ख़ास असर नहीं दिखा। आपको बता दें कि म्यांमार में हिंसा के बाद करीब 6 लाख से ज्यादा रोहिंग्या बांग्लादेश में रह रहे हैं।
म्यांमार से आए इन शरणार्थियों को भोजन और साफ पानी जैसी सुविधाओं के लिए भी जूझना पड़ रहा है। कुछ अधिकारियों को डर है कि ऐसी स्थिति में यदि इनकी संख्या पर नियंत्रण नहीं लगाया गया तो स्थिति और भी खतरनाक हो सकती है।
जिस जगह रोहिंग्याओं के कैंप लगे हैं, उस जिले में फैमिली प्लानिंग सर्विस के प्रमुख पिंटू कांती भट्टाचार्जी का कहना है कि रोहिंग्याओं के बीच जनसंख्या नियंत्रण को लेकर जागरूकता की कमी है।
एएफपी से बात करते हुए उन्होंने कहा कि ‘पूरे समुदाय को जानबूझकर पीछे छोड़ दिया गया है।’ उन्होंने कहा कि रोहिंग्याओं के बीच शिक्षा का अभाव है और ऐसे में उनके बीच जनसंख्या नियंत्रण को लेकर भी जागरूकता की कमी है।
भट्टाचार्जी ने बताया कि रोहिंग्या कैंपों में बड़े परिवार का होना आम सी बात है। कुछ लोगों के तो 19 से ज्यादा बच्चे भी हैं और बहुत से रोहिंग्याओं की एक से ज्यादा पत्नी हैं।
जिला परिवार नियोजन अधिकारियों ने गर्भनिरोधक बांटने के लिए एक अभियान शुरू किया था, लेकिन उनके बीच अब तक सिर्फ 550 कॉन्डम पैकेट ही बांटे जा सके हैं, जबकि ज्यादातर लोग इसके इस्तेमाल को लेकर अनिच्छुक हैं।
भारत के बाद अब बांग्लादेश से रोहिंग्या मुस्लिमों के लिए एक ऐसी ख़बर आई है, जो बेहद चौंकाने वाली है l इस ख़बर के बाद अब इस ये सवाल उठने लगे हैं कि क्या वाकई भारत की मोदी सरकार ने रोहिंग्या मुस्लिमों को भारत में न शरण देने का फ़ैसला सही लिया है ? ये सवाल इसलिए क्योंकि इस वक़्त बांग्लादेश ने रोहिंग्या मुस्लिमों को लेकर जो फ़ैसला लिया है, वो ये बताता है कि बांग्लादेश ने भले ही शरण दे दी हो, लेकिन बांग्लादेश में रोहिंग्या मुस्लिमों से निपट नहीं पा रहा l
बांग्लादेश ने वहां रह रहे शरणार्थी रोहिंग्याओं के लिए नसबंदी कराने की योजना बनाई है। बताया जा रहा है कि रोहिंग्याओं की बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के सभी तरीकों में विफल होने के बाद यह योजना बनाई है।
ख़बर है कि बीते महीने बांग्लादेश ने रोहिंग्याओं के कैंप में कॉन्डम भी बांटे थे, लेकिन उसका कोई ख़ास असर नहीं दिखा। आपको बता दें कि म्यांमार में हिंसा के बाद करीब 6 लाख से ज्यादा रोहिंग्या बांग्लादेश में रह रहे हैं।
म्यांमार से आए इन शरणार्थियों को भोजन और साफ पानी जैसी सुविधाओं के लिए भी जूझना पड़ रहा है। कुछ अधिकारियों को डर है कि ऐसी स्थिति में यदि इनकी संख्या पर नियंत्रण नहीं लगाया गया तो स्थिति और भी खतरनाक हो सकती है।
जिस जगह रोहिंग्याओं के कैंप लगे हैं, उस जिले में फैमिली प्लानिंग सर्विस के प्रमुख पिंटू कांती भट्टाचार्जी का कहना है कि रोहिंग्याओं के बीच जनसंख्या नियंत्रण को लेकर जागरूकता की कमी है।
एएफपी से बात करते हुए उन्होंने कहा कि ‘पूरे समुदाय को जानबूझकर पीछे छोड़ दिया गया है।’ उन्होंने कहा कि रोहिंग्याओं के बीच शिक्षा का अभाव है और ऐसे में उनके बीच जनसंख्या नियंत्रण को लेकर भी जागरूकता की कमी है।
भट्टाचार्जी ने बताया कि रोहिंग्या कैंपों में बड़े परिवार का होना आम सी बात है। कुछ लोगों के तो 19 से ज्यादा बच्चे भी हैं और बहुत से रोहिंग्याओं की एक से ज्यादा पत्नी हैं।
जिला परिवार नियोजन अधिकारियों ने गर्भनिरोधक बांटने के लिए एक अभियान शुरू किया था, लेकिन उनके बीच अब तक सिर्फ 550 कॉन्डम पैकेट ही बांटे जा सके हैं, जबकि ज्यादातर लोग इसके इस्तेमाल को लेकर अनिच्छुक हैं।
source - newsspicomrit

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