- Get link
- X
- Other Apps
Featured post
loading...
loading...
- Get link
- X
- Other Apps

महाराष्ट्र के दलित "रोहित लांडे" ने हिन्दू धर्म छोड़ कर इस्लाम अपना लिया और मस्जिद गया।
रोहित लांडे: मैंने इस्लाम कबूला है। मेरा मस्जिद में पहला दिन है।
मौलवी: बहुत अच्छी बात है। ए ओसामा, नए मुसलमान के इस्तकबाल के लिए चाय ले के आ।
((चाय पीते हुए))
मौलवी: ये बताओ क्या सोच कर इस्लाम कबूला?
रोहित लांडे: मैंने सुना है कि ब्राह्मण कई जातियों को मंदिर में नहीं घुसने देता। कान में पिघला हुआ शीशा भी डाल देता है। पर, इस्लाम मे ऐसा कुछ नहीं होता। इसीलये, इस्लाम कबूला।
मौलवी: अच्छा किया तुमने हिन्दू धर्म छोड़ कर। इस्लाम मे जातियाँ नहीं हैं। यहां कोई पंडित, ठाकुर, बनिया नहीं चलता।
मौलवी: अच्छा ये बताओ, इस्लाम का कौन सा फिरका चुना?
रोहित लांडे: देवबंदी
मौलवी: सुनो मियां, अपना चाय का कप नीचे रखो और यहां से तुरंत निकल लो!
रोहित लांडे: पर क्या हुआ मौलवी साहब, अभी आपने कहा कि मस्जिद में सबका इस्तकबाल है?
मौलवी: बाहर बोर्ड लगा है कि ये मस्जिद बरेलवी फिरके की है और देवबंदियों का यहां घुसना सख्त मना है। अगर यहां से नही जल्दी बाहर गए तो तुम्हारे हाथ पैर तोड़ दिए जाएंगे और चार कंधों पर घर जाओगे।
रोहित लांडे: जी, जाता हूँ।
मौलवी: और हाँ, आगे से मस्जिद के आसपास दिखाई भी नहीं देना वरना दौड़ा-दौड़ा कर मारेंगे।
रोहित लांडे मन मे सोचता है "मुझे जातिवाद का असली मतलब आज समझ आया। मैं वापस चला अब मंदिर...जय श्री राम।"
source - http://www.dainik-bharat.org
loading...
Comments
Post a Comment