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जापान ने फिर की भारत की मदद, आगबबुला हुआ चीन और उसका पालतू इस्लामिक पाकिस्तान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेशों के साथ संबंध सुधारने की जो पहल शुरू की थी उसका असर दिखने लगा है। जापान भारत के साथ एक अहम डील महज भारत से दोस्ती की खातिर करने को तैयार हो गया है। दोनों देशों के बीच मजबूत रक्षा संबंधों की बुनियाद को और मजबूत करने के लिए जापान ने ये फैसला किया है। जापान के इस फैसले के बाद से चीन चिढ़ा हुआ है तो वहीं पाकिस्तान अकेला पड़ता दिख रहा है।
दरअसल बात कर रहे हैं भारत और जापान के बीच शिनमायवा यूएस-2 सर्च और बचाव एयरक्राफ्ट डील के बारे में। इस डील के रद्द होने की खबरों के बीच जापान की तरफ से बड़ा बयान आया है। जापान ने कहा है कि वो कम कीमत पर भारत को एयरक्राफ्ट देने पर विचार कर रहा है।
भारत और जापान के बीच कीमत और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के मुद्दे पर सहमति नहीं होने के कारण एयरक्राफ्ट डील पर फैसला नहीं हो पार रहा था। अब जापान की तरफ से साफ कर दिया गया है कि वो केवल भारत के पीएम मोदी के साथ दोस्ती की खातिर कीमते कम करने पर विचार कर रहा है। जापान ने कहा कि वो भारत से दोस्ती के लिए ये समझौता चाहता है।
जापान ने कहा है कि वो आर्थिक फायदे के लिए भारत से ये डील नहीं करना चाहता है, बल्कि वो भारत से दोस्ती के लिए इस डील को चाहता है। टोक्यो से जारी एक बयान में इस बारे में जानकारी दी गई है। इस डील के जरिए दोनों देश चीन की आक्रामकता पर लगाम कसने की तैयारी कर रहे हैं। यही कारण है कि इस डील के आगे बढ़ने से चीन तिलमिला गया है।
बीच एयरक्राफ्ट डील से जहां रक्षा संबंध मजबूत होंगे वहीं चीन को सख्त संदेश भी जाएगी। चीन को ये संदेश जाएगा कि रक्षा क्षेत्र में दोनों देश एक दूसरे के साथ हैं। बता दें कि शिनमायवा एयरक्राफ्ट डील करीब 1.6 बिलियन डॉलर की है।
इसकी कीमतों को लेकर भारत ने एतराज जताया था। जिस पर जापान ने कहा है कि वो दोस्ती की खातिर कीमत कम करने पर विचार कर रहा है। जापान के रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक इस समझौते से दोनों देशों के संबंधों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। इस की कीमतें कई कारणों पर निर्भर करती हैं। भारत के साथ विचार विमर्श जारी है।
जापान ने साफ कर दिया है कि जितना संभव हो सकेगा उतना कीमतों में कटौती की जाएगी। बता दें कि इसी साल टोक्यो में सालाना शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी इस डील पर बात करेंगे। शिनमायवा यूएस-2 एयरक्राफ्ट की अपनी खासियतें हैं। ये खोजी और बचाव जहाजों की श्रेणी में काफी उन्नत माना जाता है। टेक ऑफ करने में इस काफी कम समय लगता है।
अगर जापान के साथ भारत की डील हो जाती है तो इन जहाजों को अंडमान- निकोबार में तैनात किया जाएगा। जापान ने 2014 में हथियारों के निर्यात से रोक हटाई है। इस तरह से देखें तो भारत जापान से रक्षा उपकरण खरीदने वाला पहला देश बन सकता है। पिछले साल हुए शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
Source - http://www.dainikakhbar.com
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