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ये दौर बाहुबली का दौर है, जहाँ भारतीय सिनेमा हिंदुत्व के शिखर पर है और खान लोबी धुंधला सी गई है

ये दौर बाहुबली का दौर है, जहाँ भारतीय सिनेमा हिंदुत्व के शिखर पर है और खान लोबी धुंधला सी गई है

बॉलीवुड ने ना जाने आज तक कितनी फिल्मों का निर्माण किया और बॉलीवुड का फिल्म निर्माण का सिर्फ एक ही मूल उद्देश्य रहा पैसा कमाना.पर साथ ही पिछले कुछ समय से बॉलीवुड में कुछ ऐसा होने लगा जिसकी कल्पना हम कभी नहीं कर सकते थे.जैसे राजनीती में मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीती होती है उसी तरह बॉलीवुड में भी ये सब होने लगा.
मुस्लिम तुष्टीकरण में अंधे इस बॉलीवुड ने हिन्दुओं की आस्थाओं से मजाक बनाना शुरू कर दिया हर दूसरी फिल्म में कभी हिन्दू धर्म से जुड़े भगवानों का मजाक बनाया जाने लगा तो कभी हिन्दू साधू संतों को ढोंगी दिखाया जाने लगा.
जब कभी भी हिन्दू समाज ने बॉलीवुड के खिलाफ आवाज उठाने का मन बनाया तो हिन्दुओं को गुंडे की उपाधि से नवाजा जाने लगा.पर आज वो ही बॉलीवुड गर्त में है और वो ही सितारे आज फीके पड़ चुके हैं जो सिर्फ हिन्दुओं का मजाक बनाते थे.हिंदुत्व की पहचान थी बॉलीवुड लेकिन गुलशन कुमार जैसे व्यक्ति की हत्या हो या मनोज कुमार जैसे राष्ट्रवादी नामों को गुमनामी में धकेलने की कोशिश हो या फिर उभरते धार्मिक हिन्दू युवाओं के सफर को शुरू होने से पहले खत्म करने की साजिशों के कारनामे, भारतीय सिनेमा सेकुलरवाद एवं मुस्लिम परस्ती की आड़ में हिन्दू विरोधी अड्डा बनकर रह गया है.
इस बीच हिंदुत्व को फिर से खड़ा कर दिया है पुरे भारत में और वो काम किया ही दक्षिण की फिल्मों ने.आपको बता दे की वैसे भी दक्षिण की फ़िल्में बॉलीवुड की फिल्मों से 100 गुणा अच्छी होती हैं लेकिन बाहुबली 2 ने तो धमाल मचा दी है.
आज की तारिक में दक्षिण की इन फिल्मों ने अपनी आंधी में हिन्दू विरोधी बॉलीवुड को इतना हिल कर रख दिया है जितना आप कभी सोच भी नहीं सकते.हिंदुत्व की धूमिल होती छवि को बाहुबली जैसी फिल्म ने फिर से खड़ा कर दिया है.आज बॉलीवुड के खुद को बहुत बड़ा स्टार समझने वाले तीनों खान हीरों की बोलती बंद हुई पड़ी है.हिन्दू विरोधी फिल्मों को जन्म देने वाले फिल्म मेकर की दिन और रात की नींद उडी हुई है.
ये दौर बाहुबली का दौर कहें तो गलत न होगा! एक ऐसा दौर जहाँ भारतीय सिनेमा हिंदुत्व के शिखर पर है और खान लोबी धुंधला सी गई है.
Source:http://hindurepublicofindia.weebly.com

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