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मुस्लिमो के हाथों मरकर हिन्दुओ को मुक्ति प्राप्त करनी चाहिए, नफरत नहीं : मोहनदास गांधी
मोहनदास गाँधी उच्च किस्म के सेक्युलर थे, और उनके सेकुलरिज्म के बारे में तो इस देश की 90% जनता अभी भी नहीं जानती
ये वही मोहनदास गाँधी है, जो दिल्ली में वाल्मीकि हिन्दुओ के मंदिर में कुरान का पाठ कर रहे थे, जब वाल्मीकि दलित हिन्दुओ ने आपत्ति जताई तो गाँधी ने अंग्रेजी पुलिस बुलवाकर दलित महिलाओ को पिटवाया
और आखिरकार मंदिर में कुरआन का पाठ करके ही दम लिया
आज जहाँ बांग्लादेश है, उस इलाके में हिन्दू महिलाओ का बड़े पैमाने पर 1946-47 में बलात्कार हुए, नौखली और आज के कोलकाता तक में हज़ारों बलात्कार हुए, जब कुछ हिन्दू महिलाएं गाँधी के पास मदद के लिए पहुंची तो, गाँधी ने उन्हें बलात्कार को सहन करने की नसीहत दे दी, और वो महिलाएं रोती हुई चली गयी
बात है 6 अप्रैल 1947 की, जब भारत आज़ाद नहीं हुआ था और पुरे देश में मुस्लिम लीग इस्लामिक देशों की मांग को लेकर दंगे कर रही थी
ऐसे में कहीं कही हिन्दू भी उग्र हो रहे थे, अब आत्मरक्षा का हक तो सबका ही है
6 अप्रैल 1947 को मोहनदास गाँधी दिल्ली में अपने सुरक्षित अड्डे पर एक प्रार्थना सभा कर रहे थे,
वहां मौजूद कांग्रेस के नेताओं और अनेकों लोगों को मोहनदास गाँधी सहिष्णुता की सीख दे रहे थे
मोहनदास गाँधी ने इस प्रार्थना सभा में कहा था की, “भले मुसलमान हिन्दुओ को मार देना भी चाहे, तो भी हिन्दुओ को अपने ह्रदय में उनके प्रति नफरत नहीं रखनी चाहिए
अगर किसी हिन्दू की हत्या भी की जाती है, तो हिन्दुओ को इसे हर्ष से स्वीकार कर लेना चाहिए, अगर मुसलमान अपना देश बना लेते है, और अपना नियम लागू करते है, तो हिन्दू मर जाये तो भी उसे मुक्ति मिल जाएगी
वरना दुनिया में और भी बहुत जगह है रहने के लिए”
मोहनदास गाँधी के यही महान सेक्युलर विचार आज भी कांग्रेस और उसके शाखाओं यानि अन्य सेक्युलर दलों के मन मस्तिष्क में दौड़ता है, और वो मोहनदास गाँधी के ही सेकुलरिज्म को लेकर चलते है
Source - http://www.authenticinfomania.com
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