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चिकनपॉक्स का बहुत अच्छा उपाय
चिकन पॉक्स एक
संक्रमणीय रोग है
जो वरीसेला जोस्टर
नामक वायरस से
पैदा होता है।
रोगी के संपर्क
में आने, खांसने
या छिंकने से
भी यह रोग
दूसरे को संक्रमित
करता है। बच्चों
में विशेष रूप
से 12 वर्ष की
आयु तक यह समस्या
ज्यादा प्रभावित करती है।
कई बार यह बिमारी
अधिक उम्र के
लोगों में भी
पायी गयी है। आम
तौर पर इस
रोग का सही
इलाज हो जाने
के बाद भी
यह बिमारी दुबारा
होने की आशंका
रहती है अगर वृद्ध
व्यक्ति, कमजोर लोग और
गर्भवती महिलाएं यदि रोगी
के संपर्क में
आए तो उन्हें
यह समस्या हो
सकती है।
गांवों और गांव
से जुड़े शहरों
में इसको माता
का निकलना
कहते हैं। बड़े
दाने वाले चिकनपॉक्स को
बड़ी माँ और
छोटे दाने वाले
चिकनपॉक्स को
छोटे माता कहते हैं
एंटी वायरल दवाओं
का प्रयोग और
थोड़ी सी सावधानी
बरतने से यह
रोग अधिकतम दो
सप्ताह में पूरी
तरह से ठीक
हो जाता है।
इसकी वायरस गर्मी
शुरू होने के
साथ ही सक्रिय
हो जाता है
, ख़ासकर फरवरी-मार्च में
इस दौरान सभी
को कुछ सावधानी
बरतनी चाहिए।
चिकन पॉक्स के लक्षण
चिकनपॉक्स की
शुरुआत शरीर में
दर्द, सिर में
दर्द, हल्का फफकारा,
भूख न लगना,
गले में खरास,
खाँसी, कमज़ोरी आदि से
होता है, दूसरे
दिन पूरे शरीर
पर फुंसी के
आकार के दाने उभर
आते हैं ।
चिकन पॉक्स की रोकथाम
अगर रोगी को
चिकन पॉक्स के
साथ बैक्टीरिया का
संक्रमण हो तो
मेनिनिजिटिस, इंसाफ्लाइटिस, गुलेन बेरी सिंड्रोम,
निमोनिया, मायोकार्डिइट के साथ
ही किडनी और
लीवर में संक्रमण
हो सकता है।
ऐसी स्थिति में
किसी योग्य चिकित्सक
से परामर्श ज़रूर
लेना चाहिए
चिकन पॉक्स उपचार
चिकन पॉक्स से बचाव
के लिए
समय समय पर
टीकाकरण होता है
पहले इस बीमारी
का बहुत अधिक
प्रकोप था, जब
से टीकाकरण शुरू
हुआ तब से
काफी हद तक
यह बीमारी ख़त्म
होने लगी है अब
कभी-कभी किसी
को ना हो
जाए इसलिए बच्चों
को टीका ज़रूर
लगवाएं पहले टीका
12 से 15 महीने के बीच
और दूसरा टीका
4-5 साल की उम्र
में लगाया जाता
है।
चिकनपॉक्स का घरेलू उपचार
- आयुर्वेद
के अनुसार इस
रोग का कारण
मेटाबॉलिक दर मे
गड़बड़ी है। इसलिए
रोगी को तत्काल
राहत के लिए
संजीवनी और मधुरांत
वटी दी जाती
है
- गिलोय को कूटकर
पानी में उबाल
लें। ठंडा होने
पर उसे उसी
पानी में हाथ
से मसल दें
और छानकर सुबह-शाम रोगी
को पिलाएं।
- एक बड़ी पीपली,
पांच मुनका और
पांच तुलसी के
पत्ते लें। उन्हें
कूटकर रस निकालें
या सील-बट्ट
पर पीस लें।
एक-एक चम्मच
सुबह-शाम दें।
छोटे बच्चों को
देना है तो
पीपली एक चौथाई
और बड़े बच्चों
के लिए आधा
पीपली मिलाना चाहिए
छोटे बच्चों को
चौथाई की चम्मच
और बड़े बच्चों
को आधा चम्मच
दवा सुबह-शाम
देना चाहिए
- शरीर पर निकलिये
फुनसियों में अगर
खुजली ज़्यादा हो
तो तुलसी के
पत्ते डालकर चाय
बनाकर देनी चाहिए।
- दूध में हल्दी
डालकर पीने से
भी खुजली में
आराम मिलता है
- रोगी के विस्तर
पर नीम की
ताज़ी पत्तियां रखनी
चाहिए, इससे कीटनाशक नष्ट हो
जाते है ।
चीचक में सावधानी
- मरीज को अलग
साफ-सुथरे कमरे
में रखें
- रोगी द्वारा प्रयोग किया
गया चीजो का उपयोग
किसी को नहीं
करना है।
- मरीज़ के पास
जाना तो मुंह
पर मास्क लगाओ।
- पीड़ित को ढीले
सूती कपड़े पहनाएं
और रोज उसे
बदलने दें
- रोगी को तली-भुनी, खट्टी, मसालेदार
और नमक युक्त
चीजें खाने-पीने
को नहीं दें।
- खाने के लिए
राबड़ी, खिचड़ी, सूप और
दलिया जैसे हल्के
चीजें दें। फल,
जूस, दूध, दही,
छाछ आदि दे
सकते हैं।
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